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साल 2012 में धरती की तबाही की भविष्यवाणी करने वाले माया कैलेंडर का उपयोग 3400 साल पहले होता था. यह खुलासा हुआ है हाल ही में ग्वाटेमाला और दक्षिणी मेक्सिको में मिले माया सभ्यता की इमारतों से. माया सभ्यता के इन ढांचों की खोज से यह जानकारी मिली है कि प्राचीन मध्य अमेरिकी लोगों ने माया कैलेंडर की गणनाओं के आधार पर अपने शहरों का निर्माण किया था. ग्वाटेमाला और दक्षिणी मेक्सिको में मिले ये ढांचे नई तकनीक से खोजे गए हैं।
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वैज्ञानिकों ने लिडार (Lidar – Light Detection and Ranging) तकनीक के जरिए माया सभ्यता से जुड़े कुल 478 ढांचे खोजे हैं. ये ढांचे ग्वाटेमाला और दक्षिणी मेक्सिको में फैले हुए हैं. इन्हें देखकर लगता है कि ये 1400 ईसा पूर्व में बनाए गए प्रोटोटाइप शहर रहे होंगे. इनकी खोज के लिए लिडार तकनीक का उपयोग इसलिए किया गया क्योंकि ऐसे ढांचों का आइडिया जमीन को देखकर नहीं लगता. न ही इनका खनन हो सकता है।
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इन ढांचों को देखकर लगता है कि ये सूरज के उगने के हिसाब से बनाए गए थे. इनमें संख्या 20 का उपयोग बहुत हुआ है. जो उस समय के कैलेंडर्स में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता था. माया कैलेंडर में भी 20 अंक का उपयोग काफी हुआ है. यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के आर्कियोलॉजिस्ट ताकेशी इनोमाता ने बताया कि हम ये नहीं कह रहे हैं कि हमारे पास लिखित माया कैलेंडर है. या उस समय लिखा गया होगा।
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ताकेशी ने बताया कि हो सकता है कि इन ढांचों का निर्माण माया कैलेंडर से कई सदी पहले किया गया हो. लेकिन उस समय माया कैलेंडर के गणनाओं की शुरुआत हो चुकी थी. उस समय कैलेंडर था, जो 20 अंक के आधार पर बनाया जाता था. लोग इस कैलेंडर का उपयोग भी करते थे।
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माया सभ्यता के पास एक लंबे समय का कैलेंडर था. जिसे माया लॉन्ग काउंट कैलेंडर (Maya Lonh Count Calender) था, जिसमें सदियों की बातें की गई थी. इसी कैलेंडर में साल 2012 में दुनिया की तबाही की भविष्यवाणी की गई थी. छोटे समय के लिए माया सभ्यता के पास जोल्किन कैलेंडर (Tzolk’in calender) था. जो 260 दिनों के हिसाब से बनाया गया था. यह सांस्कृतिक और पारंपरिक पर्वों को मनाने के हिसाब से बनाया गया था. इसके अलावा हाब (Haab) कैलेंडर था, जो 365 दिनों का था. यह सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाती हुई धरती के आधार पर बनाया गया था।
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जोल्किन कैलेंडर (Tzolk’in calender) और लॉन्ग काउंट कैलेंडर में 20 दिनों की रिपीटिंग साइकिल होती थी. लॉन्ग काउंट कैलेंडर का लिखित फॉर्मेट 800 एडी और उसके बाद से मिलना शुरु हुआ है. ताकेशी इनोमाता ने जो ढांचे लिडार तकनीक से खोजी हैं, वो काफी ज्यादा पुराने हैं. उनकी सही उम्र का अंदाजा तो नहीं लगाया जा सका है लेकिन अनुमान है कि ये 1000 ईसापूर्व से लेकर 250 AD के बीच बने हैं. यह समय माया सभ्यता का उच्चतम स्तर था।
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ताकेशी इनोमाता द्वारा खोजे गए ढांचों की आकृति और बनावट का तरीका लगभग एक जैसा है. ये पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर बने हैं. इनके ऊपर 20 छोटे-छोटे प्लेटफॉर्म्स हैं. ताकेशी ने बताया कि हर ढांचे पर 20 छोटे प्लेटफॉर्म्स बनाने का मतलब ये है कि उस समय के लोग इस अंक को मानते थे. यानी उनकी गणना पद्धति में 20 का अंक महत्वपूर्ण था. सभी ढांचे एक सीध में बने हैं।
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ताकेशी ने बताया कि इन ढांचों के मध्य में कुछ बड़े ढांचें भी हैं जो धार्मिक कार्यक्रमों के लिए बनाए गए थे. इसलिए हो सकता है कि जोल्किन कैलेंडर का कोई पुराना फॉर्मेट यहां पर उपयोग किया जाता रहा हो. इन ढांचों से यह भी पता चलता है कि प्राचीन मध्य अमेरिका में सभ्यताएं कैसे विकसित हुईं. इन इलाकों में माया सभ्यता के साथ-साथ ओलमेक (Olmec) लोग भी रहा करते थे।
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ओलमेक पत्थरों के सिर और पिरामिड बनाने का काम करते थे. ये पिरामिड 100-100 फीट ऊंचे होते थे. लेकिन अगर इन्हें ये काम जंगल के बीच करना पड़ता था तो मुश्किल बढ़ जाती थी. कई ढांचे बने तो लेकिन धीरे-धीरे नष्ट होते चले गए. इसलिए आज भी पुरातत्वविदों के पास माया और ओलमेक सभ्यता के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. ताकेशी इनोमाता कहते हैं कि समझ में ये नहीं आता कि ओलमेक से माया सभ्यता प्रभावित थी, या फिर इसका उलटा था।
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ताकेशी ने कहा कि हम यह भी समझने का प्रयास कर रहे हैं कि उस समय कि सभ्यता कैसी थी. क्यों शहर के बीचों-बीच एक बड़ा ढांचा या इमारत बनाई जाती थी. कैसे इनका समाज ज्यादा तरीके से विकसित हो रहा था. इनका आका कौन था. कैसी सरकार थी. क्या इनमें शिकारी थे, किसान थे या हर कोई मिलजुलकर रहता था. ताकेशी इस बात पर जोर देते हैं कि ये वो समय था, जब कोई राजा इनपर राज नहीं कर सकता था. यहां लोग खुद जमा होकर बड़े प्रोजेक्ट्स को पूरा करते थे।
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ताकेशी ने जिन शहरों को खोजा है वो करीब एक किलोमीटर लंबे होते थे. ये जमीन से कुछ फीट ऊपर होते थे. ताकेशी ने लिडार करने से पहले मेक्सिको के पूर्वी तबास्को में एक साइट का सर्वे किया. इस जगह का नाम है अगुआडा फेनिक्स. अगुआडा फेनिक्स 33 से 50 फीट ऊंचा और 1.4 किलोमीटर लंबा पठार है. यह 1000 ईसापूर्व से 800 ईसापूर्व तक उपयोग में लाया जा रहा था. यहां पर कई बड़े ढांचे बने हुए थे।
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इस खोज के बाद ताकेशी की टीम और रिसर्च करना चाहती थी. इसलिए उन्हों लिडार तकनीक का उपयोग करके ग्वाटेमाला और दक्षिणी मेक्सिको में खोज करनी शुरु की. तब उन्होंने 478 ढांचे खोजकर निकाले. जो जमीन के कई फीट नीचे दबे हैं. इस स्टडी की रिपोर्ट नेचर ह्यूमन बिहेवियर नामक जर्नल में प्रकाशित हुई है।
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